ग्रेगोरियन कैलेंडर का इतिहास, जाने कैसे बना विश्व व्याप्त कैलेंडर

ग्रेगोरियन कैलेंडर का इतिहास, History of Gregorian Calendar in hindi
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History of Gregorian Calendar in hindi, वर्ष के खास त्यौहार, खास छुटियाँ, अपना और अपने दोस्तों का जन्मदिन, महशूर हस्तियों की जयंती या पूण्यतिथि, विशेष दिन और मौसम बदलने के समय के बारे में जानने के लिए हर कोई कैलेंडर का उपयोग करता हैं. और कैलेंडर की सहायता से ही हम अपने दैनिक कार्यों को याद रखते हैं. इन सभों के लिए आपके पास कोई तरह के कैलेंडर होंगे, पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आने वाला कैलेंडर हैं ग्रेगोरियन कैलेंडर.


लेकिन क्या आप जानते हैं ग्रेगोरियन कैलेंडर का इतिहास. अगर नहीं, तो इस लेख में जानते हैं ग्रेगोरियन कैलेंडर कैसे बना विश्व व्याप्त कैलेंडर. इस कैलेंडर के बारे में जानकारी लेना आपके लिए रोचक और फायदेमंद साबित हो सकता हैं.


ग्रेगोरियन कैलेंडर का इतिहास, History of Gregorian Calendar in hindi


1582 में पोप ग्रेगोरी 13वे ने इस कैलेंडर की शुरुआत की थी. और उनके नाम से ही इस कैलेंडर का नाम ग्रेगोरियन कैलेंडर पड़ा. इस कैलेंडर के मुताबिक 1 जनवरी साल का पहला दिन होता हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से साल के 365 दिन होते हैं, लेकिन हर चौथे साल में 1 दिन बढ़कर साल के 366 दिन हो जाते हैं. और ऐसे साल को लीप वर्ष कहा जाता हैं.


सूर्य पर आधारित ये पंचांग 400 सालों बाद फिर दोहराया जाता हैं. जऔर इन 400 सालों में 303 सामान्य वर्ष होते हैं. और 97 लीप वर्ष होते हैं. 303 सामान्य वर्षों में 365 दिन होते हैं, जबकि 366 दिन वाले वर्ष 97 होते हैं. 


आपको बता दे कि, ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले जुलियन कैलेंडर प्रचलन में था. लेकिन उस कैलेंडर में बहुत सी गलतियाँ थी. उन गलतीयों को दूर कर के पोप ग्रेगोरी ने इस कैलेंडर को बनाया.


1582 में जब पोप ग्रेगोरी ने इस कैलेंडर का संशोधन किया, तब संशोधित कैलेंडर में से 10 दिन निकाल दिए गए थे. उस साल को 10 दिन छोटा कर दिया गया था. उस साल 5 अक्टूबर के बाद अगली तारीख 15 अक्टूबर रख दी गई थी. 


वैज्ञानिक रोजर बेकन और सेंट बीड का योगदान


ग्रेगोरियन कैलेंडर को पोप ग्रेगोरी 13वे ने बनाया हैं, लेकिन इसमें संत बीड और वैज्ञानिक रोजर बेकन का भी बड़ा योगदान हैं. संत बीड ने सबसे पहले एक साल की ठीक-ठीक समय अवधि निकालकर पूरे विश्वास के साथ बताई. उन्होंने 8वीं शताब्दी में अपने शोधकार्य से यह निष्कर्ष दिया कि, एक साल में 365 दिन और 6 घंटे नहीं, बल्कि 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और कुछ सेकेंड होते हैं. 


संत बीड के 500 साल बाद वैज्ञानिक रोजर बेकन ने एक साल की समयावधि को और भी ज्यादा सही करके बताया. यानी सन 1582 में जब कैलेंडर के संशोधन का ऐतिहासिक कार्य हुआ, उसमें बीड और बेकन के योगदान को याद किया गया था. 


दुनिया भर में एकसाथ नहीं अपनाया


आज दुनिया के कोने कोने में स्वीकारा गया ग्रेगोरियन कैलेंडर को पूरी दुनिया ने एकसाथ नहीं अपनाया. बल्कि अलग-अलग देशों ने अलग-अलग समय में इस कैलेंडर को अपनाया. और अपने देश में लागू किया.


ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाने वाले पहले देश हैं इटली, फ्रांस, स्पेन और पोर्तुगाल. इन चारों देशों ने 1582 में ही इस नए कैलेंडर के अनुसार चलना शुरू कर दिया था. बाद में हॉलैंड, स्वीटजरलैंड, प्रशिया और फ्लैंडर्स ने 1583 ई. में, पोलैंड ने 1586 ई. में, हंगरी ने 1587 ई. में और डेनमार्क ने 1700 में इस कैलेंडर को अपनाया.


ब्रिटीश साम्राज्य ने 170 साल बाद यानी 1752 में इस कैलेंडर के हिसाब से चलना शुरू किया. वहीं जापान में 1972 ई. को, चीन में 1912 ई. को, बुल्गारिया में 1915 ई. को, तुर्की ने 1917ई. को और रोमानिया ने 1919 ई को यह कैलेंडर लागू किया गया.


भारत ने कब अपनाया


ग्रेगोरियन कैलेंडर बनने के 170 साल बाद यानी 1752 ई. में अंग्रेजों ने भारत में इस कैलेंडर को लागू किया गया. उस साल 11 कम कर दिए गए थे. यानी 2 सितंबर से सीधे 14 सितंबर की तारीख दी गई थी.


आपको बता दे कि, भारत में शक सवंत पर आधारित एक कैलेंडर हैं, जिसे भारतीय राष्ट्रीय पंचांग या 'भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर' के तौर पर जाना जाता हैं. और इसे ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ-साथ 22 मार्च 1957 को अपनाया गया. और चैत्र भारतीय पंचांग का पहला माह हैं.


ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले



ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले जुलियस कैलेंडर प्रचलन में था. और आज जो कैलेंडर(gregorian calendar) पूरी दुनिया में प्रयोग में लाया जाता हैं, वह उसी जुलियस कैलेंडर के आधार से ही बनाया गया हैं. रोमन सम्राट जुलियस सीजर ने इसा पूर्व पहली शताब्दी में इस कैलेंडर को बनाया था. और उन्होंने उस कैलेंडर को सही बनाने में यूनानी ज्योतिषी सोसिजिनीस की मदद ली थी. 


जुलियस कैलेंडर में जुलाई और अगस्त ये 2 नए महीने जोड़े गए थे. यानी पहले जो रोमन कैलेंडर था उसमे 10 महीनों का एक साल होता था, वह अब 12 महीनों का एक साल बन गया था. और इस कैलेंडर के लिहाज से, 304 नहीं बल्कि एक साल में 365 दिन और 6 घंटे होते थे.


जुलियस सीजर ने इसे ईसा के जन्म से 46 वर्ष पूर्व लागू किया था. और इस नए कैलेंडर की शुरुआत जनवरी से मानी गई थी. जुलियस कैलेंडर को ईसाई धर्म मानने वाले सभी देशों ने स्वीकार किया था. 


माना जाता हैं कि, ग्रेगोरियन और जुलियस कैलेंडर से भी पहले एक कैलेंडर प्रचलन में था. जो रोम का राजा न्यूमा पोंपिलियस के समय में इस्तेमाल किया जाता था. आपको बता दे कि, यह राजा ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी में था. उस कैलेंडर में साल के 304 दिन ही होते थे. और एक साल में सिर्फ 10 महीने ही थे.


B.C और A.D क्या हैं?


ग्रेगोरियन कैलेंडर का आधार जुलियस कैलेंडर हैं. और जुलियस कैलेंडर की गिनती ईसा के जन्म से की गई हैं. इस लिहाज से ईसा के जन्म के पहले के समय को B.C(Befor Christ- Before the birth of jesus chirst) कहा जाता हैं. और ईसा के जन्म के बाद के समय को A.D(Anno Domini जिसका शाब्दिक अर्थ है – In the year of lord (jesus chirst) कहा जाता हैं. B.C में वर्षों की गिनती पीछे को जाती हैं. और A.D में वर्षों की गिनती आगे को बढ़ती हैं.


पूरी दुनिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर ही क्यों


मौसम बदलने का समय हमें कैलेंडर से ही हो पाता हैं. और यह सच हैं कि, कैलेंडर का पूरा इतिहास ही मौसम के चक्र की समझ से जुड़ा हैं. और यह भी सच हैं जिस कैलेंडर से मौसम चक्र का सबसे शुद्ध आकलन हो सकता हो, वही कैलेंडर सबसे सटीक हो सकता हैं. इस लिहाज से देखे तो यह कैलेंडर काफी बार संशोधित किया गया हैं. और हर किसी को समझने में भी काफी सुविधाजनक हैं.


ग्रेगोरियन कैलेंडर के पास 5500 सालों का इतिहास हैं. और इसका कम से कम 2000 साल इतिहास लिखत-पढ़त में हैं. वहीं इसकी जड़े रोमन सभ्यता की शुरुआत से हैं. यही नहीं, इस कैलेंडर की सबसे बड़ी बात यह हैं कि, इस कलैंडर में बार-बार संशोधनों के जरिये इसकी कमियों और खामियों को दूर करने की कवायद का भी विश्वसनीय इतिहास रहा है.


तो आशा करते हैं ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित यह लेख आपको जरुर पसंद आया होगा. इसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें. और यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट सेक्शन में जरुर बताए.


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