इंडिया गेट का इतिहास, याद दिलाता हैं वीर जवानों की कुर्बानी

India Gate भारत के प्रमुख विरासतों में से एक हैं. और अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में भी जाने जाने वाला India Gate आज हमें भारतीय जवानों की वीरता, देशप्रेम और उनकी कुर्बानी को स्मरण कराता हैं.


इंडिया गेट का इतिहास, history of india gate in hindi
इंडिया गेट का इतिहास


history of india gate in hindi, यमुना नदी के तट पर बसी दिल्ली, भारत की राजधानी ही नहीं इतिहास और आधुनिकता का केंद्र भी है. यहाँ कई ऐतिहासिक स्मारक बने हुए हैं, जो दिल्ली की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं. और इन ऐतिहासिक स्मारकों को देखने के लिए भारत ही नहीं विदेशी यात्री भी भारी मात्रा में आते हैं.


दिल्ली में स्थित 'इंडिया गेट' भी इन ऐतिहासिक स्मारकों में से एक हैं, जो की एक युद्ध स्मारक के तौर पर जाना जाता हैं. इंडिया गेट एक पर्यटक स्थल के साथ साथ भारत की शान भी है, जो कि देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वीर जवानों की शहादत को याद दिलाता है. हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की भावना जागृत करने 
वाला यह स्मारक हमें सैनिकों के निस्वार्थ कार्यो के बारे में भी याद दिलाता हैं.


पर क्या आप जानते भारत की शान इंडिया गेट का इतिहास? इंडिया गेट कहाँ हैं? इंडिया गेट किसने बनाया? इंडिया गेट कब बनाया गया? इंडिया गेट क्यों बनाया गया? इन सवालों का जवाब. अगर नहीं, तो हमारा यह लेख आपको जरुर इंडिया गेट के बारे में सारी जानकारी प्रदान करने में सक्षम होगा.


इंडिया गेट का इतिहास, history of india gate in hindi


इंडिया गेट को All India War Memorial यानी अखिल भारतीय युद्ध स्मारक' भी कहा जाता हैं. और यह दुनिया के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक हैं, जो प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो अफगान युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की ओर से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों के याद में बनाया गया हैं.


आपको बता दे कि, 1914 से 1918 तक चले पहले विश्व युद्ध और 1919 में हुए तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में करीब 90,000 भारतीय वीर जवानों ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी.


4 साल से भी अधिक समय चले पहले विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिशों ने एक लाख से भी अधिक भारतीय जवानों की नियुक्ति की थी. और इस दुर्भाग्यवश घटना में 70,000 से भी अधिक भारतीय सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की थी. ये भारतीय सैनिक प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया, फ्रांस, पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली समेत कई अन्य स्थानों पर लड़ते हुए शहीद हुए थे.


उन भारतीय जवानों की वीरता की याद, सम्मान और उन्हें श्रध्दांजलि के रूप में इस अविस्मरणीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया गया, जो आज भी हर भारतीय को उन सैनिकों के बलिदान की याद दिलाता हैं. इस विशाल स्मारक में 13, 300 सैनिकों और अधिकारीयों के नाम उत्कीर्ण किए गए हैं.


इंडिया गेट के ऊपरी भाग में ब्रिटिश इंपीरियल कॉलोनी के प्रतिक के रूप में एक शिलालेख लिखा हुआ हैं. और इस शिलालेख में अंग्रेज़ी में यह लिखा है,


"To the dead of the Indian armies who fell honoured in France and Flanders Mesopotamia and Persia East Africa Gallipoli and elsewhere in the near and the far-east and in sacred memory also of those whose names are recorded and who fell in India or the north-west frontier and during the Third Afgan War."


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इंडिया गेट का निर्माण: डिझाइन और वास्तुकला


10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने इंडिया गेट की आधारशिला रखी थी. और इसे एडविन लुटियंस ने डिझाइन किया था. जो कि, उस समय के सबसे प्रतिभाशाली डिझाइनरों में से एक थे. लुटियंस, दिसंबर 1917 में गठित IWGC के सदस्य थे. और उन्होंने यूरोप में कई युद्ध स्मारकों और कब्र का डिझाइन किया था.


इंडिया गेट अपने भव्य वास्तुशिल्प बनावट के लिए जाने जाता हैं. यह स्मारक 42 मीटर लंबा और 9.1 मीटर चौड़ा हैं. जो एक षट्कोणीय जगह के बीचो बीच 625 मीटर व्यास और 360,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बसा हुआ हैं.


इसका निर्माण खासकर के पीले और लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाईट से किया गया हैं, जो कि खूबसूरती में हर किसीका दिल छू लेता हैं. इंडिया गेट की संरचना फ्रांस के पेरिस में स्थित आर्क डी ट्रायम्फ जैसा हैं, जो पेरिस के प्रसिद्ध स्मारकों में से एक हैं.


इंडिया गेट को बनाने में करीब 10 साल लगे. 1921 में नीव रखे गए इस खूबसूरत स्मारक को 10 साल बाद यानी 12 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन ने राष्‍ट्र को समर्पित किया था.


अमर जवान ज्योति, Amar Javan Jyoti


इंडिया गेट के निर्माण के कई सालों बाद यानी 1971 में इंडिया गेट के तले अमर जवान ज्योति का निर्माण किया गया. साल 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले वीर भारतीय सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति की स्थापना की गई. और यह हमें हमारे वीर जवानों की वीरता और देश के प्रति उनके प्रेम की याद दिलाते हैं.


अमर जवान ज्योति, एक काले रंग की संगमरमर से बनाई गई है. और उसके उपर L1A1 स्व-लोडिंग राइफल को उल्टा लगाया गया हैं, साथ में एक जवान का हेलमेट जोड़ा गया हैं. इसके आगे की ओर 'अमर जवान' लिखा गया हैं. यहाँ 4 जोत रखी गई हैं, जिनमें से एक सैनकों के सम्मान में हमेशा जलती रहती. और अन्य तीन को 26 जनवरी, 15 अगस्त, विजय दिवस और शहीद दिवस पर प्रज्वलित किया जाता हैं.


जवानों की वीरता, त्याग, बलिदान और देश के प्रति प्रेम को याद दिलाने वाली 'अमर जवान ज्योति' का उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. और तभी से प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस पर देश के प्रधानमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और मुख्य अतिथियों द्वारा यहाँ पर पुष्प चढ़ाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैं.


इतना ही नहीं भारत के तीनों सेना के प्रमुखों द्वारा शहीद दिवस और विजय दिवस पर भी शहीद जवानों को श्रध्दांजलि अर्पित कर के उनकी कुर्बानी को याद किया जाता हैं.


किंग जॉर्ज की प्रतिमा


इंडिया गेट के सामने एक खाली छत्री भी है, जिसमें पहले किंग जॉर्ज वी की प्रतिमा थी. उस प्रतिमा को 1960 में कोरोनेशन पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया था. आपको बता दे कि, कोरोनेशन पार्क मात्र भारत से ब्रिटिश की वापसी का प्रतीक है.


गणतंत्र दिवस पर खास समारोह आयोजन


हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडिया गेट और राजपथ पर एक राष्ट्र के नाम भव्य समारोह का आयोजन किया जाता हैं. इस खास अवसर पर यहाँ भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मौजूद रहते हैं. उनके अलावा मंत्री और संसद के सदस्य भी उपस्थित होते हैं. वहीं विदेशी देशों के मंत्रियों को भी इस शुभ अवसर पर आमंत्रित किया जाता हैं.


गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंडिया गेट और राजपथ पर देशभक्ति में लीन भारतीय भी अपनी उपस्थित दर्ज कराते हैं. यहाँ उपस्थित लोगों में देश के प्रति प्रेम, भारतीय होने का गर्व और देशभक्ति की भावना दिखाई देती हैं. और देशप्रेम में डूबे लोग इस खास कार्यक्रम को अंत तक बड़े उत्साह के साथ देखते हैं.


इस खास समारोह के शुरुआत में देश के प्रधानमंत्री, अमर जवान ज्योति पर  देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले वीर जवानों को श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं. उसके बाद शहीद जवानों के लिए दो मिनट का मौन रखा जाता हैं.


गणतंत्र दिवस परेड इस समारोह का मुख्य आकर्षण होता हैं. इस दिन परेड का आयोजन राष्टपति भवन से इंडिया गेट तक किया जाता हैं. भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना सहित भारतीय सशस्त्र बलों की रेजिमेंट की ओर से इस अवसर पर मार्च पास्ट किया जाता हैं.


उसके बाद विभिन्न राज्यों की संस्कृति और परंपरा को दर्शाती झांकी की परेड होती है. वहीं स्कूली बच्चों द्वारा भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं.


इंडिया गेट: एक पर्यटन स्थल, Best Tourist Spot


इंडिया गेट, दिल्ली ही नहीं भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं. इसकी भव्य और खूबसूरत वास्तुशिल्प बनावट देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक यहाँ आते हैं. इंडिया गेट के आस-पास बने हरे-भरे बगीचे, बोट क्लब और पार्क, इंडिया गेट की सुंदरता में और भी चार चाँद लगा देते हैं.


पर्यटकों के साथ साथ स्थानीय लोग भी इस ऐतिहासिक स्मारक के पास अपना खाली समय बिताते हैं. हर रोज शाम से आधी रात तक यहाँ भारी भीड़ देखने को मिलती हैं, क्योंकि रात्रि में इंडिया गेट को फ्लडलाइट से और समीपवर्ती फव्वारों को रोशनियों से जगमगाया जाता हैं. और सुंदरतापूर्वक रोशनी से भरे हुए इस स्मारक का रात का नजारा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं. और पर्यटक इंडिया गेट के सुंदरता के गवाह बनते हैं.

इस अविस्मरणीय स्मारक को देखने के बाद हर कोई इसकी स्थापत्य बनावट, भव्यता और खूबसूरती की सरहना करता हैं.


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इंडिया गेट के बारे में संक्षिप्त जानकारी, Brief information about India Gate

  • इंडिया गेट कहाँ हैं?
         राजपथ, इंडिया गेट, नई दिल्ली(भारत की राजधानी)
  • इंडिया गेट की आधारशिला किसने रखी?
        ड्यूक ऑफ कनॉट
  • इंडिया गेट का निर्माण कब शुरू हुआ?
         1921 इसवी में
  • इंडिया गेट का वास्तुकार कौन था?
        एडविन लुटियंस
  • इंडिया गेट की स्थापना कब हुई:
         1931 इसवी में
  • इंडिया गेट का उद्घाटन किसने किया?
          वायसराय लार्ड इर्विन
  • इंडिया गेट की ऊंचाई और चौड़ाई कितनी हैं?
          ऊंचाई 42 मीटर और चौड़ाई 9.1 मीटर
  • इंडिया गेट का पुराना नाम
          अखिल भारतीय युद्ध स्मारक(all india war memorial)
  • इंडिया गेट क्यों बनाया गया?
         प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों के सम्मान में


आशा करते हैं आपको हमारा 'इंडिया गेट का इतिहास' यह लेख जरुर पसंद आया होगा. इस लेख पर आपकी राय और अगर आप हमें कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो जरुर कमेंट करे. धन्यवाद

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