विश्व धरोहर: अजंता की गुफाएं, वास्तुकला और शिल्पकला के उत्कृष्ट उदाहरण, जाने पूरी जानकारी

विश्व धरोहर: अजंता की गुफाएं, वास्तुकला और शिल्पकला के उत्कृष्ट उदाहरण, जाने पूरी जानकारी
अजंता की गुफाएं


भारत की अद्वितीय प्राकृतिक स्थिति और जगहों-जगहों पर स्थित प्राचीन मूर्तियाँ हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं. हालांकि कई सदीयों पहले खुदी गई इन मूर्तियों का मूल रूप बारिश और हवा के कारण कुछ हद तक खो गया हैं, लेकिन सुंदरता अभी भी बनी हुई हैं.


आज के इस लेख में जानेंगे प्राचीन भारतीय कला का उत्कृष्ट नमूना पेश करने वाले अजंता की गुफाओं के बारे में. जहाँ की खूबसूरत चित्रकला और शिल्पकला(मूर्तियाँ) आज भी कलाप्रेमियों को आकर्षित करते हैं. मानो, कलाप्रेमियों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं हैं.


अजंता की गुफाएं, Ajanta Caves Information in hindi

अजंता की गुफाएं कहाँ हैं


अजंता की गुफाए महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं. और औरंगाबाद शहर से करीब 107 किमी दुरी पर हैं. इन गुफाओं से करीब 3.5 किमी के अंतर पर अजंता नामक गाव हैं. और इसी गाव से इन गुफाओं को अजंता की गुफाएँ कहा जाता हैं.


चट्टानों को काट कर विशाल घोड़े की नाल के आकर में इन गुफाओं की निर्मिती की गई हैं. जो सह्याद्री में रॉक-कट गुफाओं एक शृंखला के रूप में स्थित हैं. अजंता की गुफाएं बौध्द वास्तुकला, गुफा चित्रकला और शिल्प चित्रकला के उत्कृष्ट नमूने पेश करते हैं. यहाँ कुल 29 गुफाएं हैं. जिसमें 4 चैत्य (प्रार्थना भवन) और 25 विहार (मठ) हैं.

इन गुफाओं के तलहटी में वाघोरा नदी बहती हैं. और ये गुफाएं नदी धरातल से करीब 35 से 110 फिट ऊंचाई पर हैं. अजंता के  गुफाओं के चारों ओर घना जंगल हैं. जिसके कारण मानसून के मौसम में यहाँ की हरियाली हर किसी का दिल जीत लेती हैं. इसी हरियाली से बहते छोटे झरने भी मन मोह लेते हैं.


गुफाओं का निर्माण काल


अजंता गुफाओं की निर्माण दूसरी से छठी सदी के बीच किया गया था. पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार, 9, 10, 12, 13 और 15-ए की गुफाओं को हीनयान काल के दौरान बनाया गया होगा. इसकी शुरुआत ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के आसपास हुई थी. इसके अलावा, 1 से 29 की संख्या वाली गुफाओं का निर्माण लगभग 800-900 साल बाद महायान काल में हुआ होगा. यानी 6 वीं और 7 वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास.


अजंता की गुफाएँ क्यों बनवाई गई


कुछ सालों पहले परिवहन के साधनों के अभाव के कारण अधिकांश यात्रा पैदल ही की जाती थी. ऐसे समय में विश्रांति के लिए जगहों-जगहों पर कुछ स्थानों का निर्माण किया जाता था. और मुख्य मार्ग पर स्थित ऐसे स्थानों पर पानी और विश्रांति की सुविधा रहती थी. उनका उद्देश्य यात्रियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करना था. माना जाता है कि, अजंता गुफाओं की निर्मिती भी इसी कारणवश की गई हो. हालाँकि ये ठोस सबूत नहीं हैं.



गुफाओं की खोज किसने की


अजंता की गुफाओं की खोज ब्रिटिश सेना की मद्रास रेजीमेंट के एक सैन्य अधिकारी जॉन स्मिथ ने 28 अप्रैल 1819 ई.स में की थी. और उन्होंने 10 वे क्रम के गुफा के एक खंबे पर अपना नाम और दिनांक सबूत के तौर पर लिखे होने का प्रमाण आज भी दिखाई देता हैं. इतिहास कहता है, जॉन स्मिथ अपने टीम के साथ बाघ के शिकार पर निकले थे, उसी दौरान उन्होंने इन गुफाओं की खोज की.


जाने जाते हैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर


अजंता की गुफाओं का एक लंबा इतिहास, बौद्ध विरासत को संरक्षित करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम ऊँचा करता हैं. इन गुफाओं में बौध्द धर्म की करुणामय भावनाओं से भरी हुई चित्रकला और शिल्पकला पाई जाती हैं.


विश्व विरासत स्थल घोषित



यूनेस्को ने 1983 में अजंता की गुफाओं को विश्व विरासत स्थल World Heritage Site के रूप में घोषित किया. और तब से यहाँ सैलानियों की आने की संख्या में काफी वृद्धि हुई हैं.


वर्तमान में रख-रखाव


वर्तमान में इन गुफाओं का रख-रखाव भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया जा रहा है. इसका प्रमुख कार्य राष्‍ट्रीय महत्‍व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्‍वीय स्‍थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है. इसके अतिरिक्‍त, प्राचीन संस्‍मारक तथा पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्‍वीय गतिविधियों को विनियमित करता है.

कुछ जानने योग्य तथ्य:


1) अजंता में 'फ़्रेस्को' तथा 'टेम्पेरा' दोनों ही विधियों से चित्र बनाये गए हैं. चित्र बनाने से पहले दीवारों को भली भांति रगड़कर साफ़ किया जाता था, तथा फिर उसके ऊपर लेप चढ़ाया जाता था.

2) अजंता की गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण ‘मरणासन्न राजकुमारी‘ का चित्र प्रशंसनीय है.

3) गुफा संख्या 17 के चित्र को ‘चित्रशाला‘ कहा गया है. इसका निर्माण हरिषेण नामक एक सामन्त ने कराया था. इस चित्रशाला में बुद्ध के जन्म, जीवन, महाभिनिष्क्रमण एवं महापरिनिर्वाण की घटनाओं से संबंधित चित्र उकेरे गए हैं.

4) गोंद, चावल के मांड और अन्य कुछ पत्तियों तथा वस्तुओं का सम्मिश्रमण कर आविष्कृत किए गए रंगों से ये चित्र बनाए गए. जिसकारण आज भी इनका रंग हल्का या ख़राब नहीं हुआ है और चमक यथावत बनी हुई है. इन गुफाओं के चित्रों में लाल रंग की प्रचुरता है किंतु नीले रंग की अनुपस्थिति है.


5) अजंता के ये गुफाएँ जातक कथाओं के माध्यम से भगवान बुद्ध के जीवन की घटनाओं को दर्शाती हैं.

6) इन 29 गुफाओं में से वर्तमान में केवल 6 शेष हैं. जिसमें गुफा संख्या 1, 2, 9, 10, 16, 17 ही शामिल हैं. इन 6 गुफाओं में गुफा संख्या 16 एवं 17 ही गुप्तकालीन हैं.

7) इन गुफाओं का निर्माण इतनी जटिलता से किया किया गया है कि, वे लकड़ी पर की गयी नक्काशी काम के समान लगती है.

8) वाकाटक वंश के वसुगुप्त शाखा के शासक हरिषेण (475-500ई.) के मंत्री वराहमंत्री ने गुफा संख्या 16 को बौद्ध संघ को दान में दिया था.

9) अजंता गुफाओं में 200 से 650 ई. के बीच की बौद्ध धर्म से संबन्धित कहानियों को उत्कीर्ण किया गया हैं.

10) अभी तक यहाँ 30 स्थलों की खुदाई की जा चुकी है और अभी भी खुदाई जारी है.


आशा करते हैं यह लेख आपको जरुर पसंद आया होगा. अगर इस लेख में आपको कोई त्रुटी नजर आती हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं, तो हमसे जरुर संपर्क करे. धन्यवाद

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