Bisleri का इतिहास
बिसलेरी की स्थापना इटली के Signor Felice Bisleri ने की थी. सन 1965 में इटली के नोसेरा उम्ब्रा में उनके नाम से जन्मा ब्रांडेड पानी बेचने का फार्मूला भी हमारे देश में सर्वप्रथम Felice Bisleri ही लाए थे. Signor Felice Bisleri एक व्यापारी इन्वेंटर और एक केमेस्ट्री कंपनी थी. और बिसलेरी के मालिक थे डॉक्टर रोजिज. शुरुआत में यह एक मलेरिया के इलाज के लिए दवा बनाने वाली कंपनी थी. उसी दवा को बेचने के लिए इस कंपनी की मुंबई में भी एक शाखा थी. आपको बता दे कि, भारत के ही खुसरू संतुक के पिता बिसलेरी कंपनी के भारत के एक लीगल एडवाइजर होने के साथ बिसलेरी परिवार के डॉक्टर रोजिज के काफी अच्छे दोस्त भी थे.
भारत में हो रही व्यापार वृद्धि को देखते हुए बिसलेरी के मालिक डॉक्टर रोजिज कुछ अलग करना चाहते थे. उस समय मुंबई में मिलने वाले पानी की क्वालिटी काफी खराब थी. तब डॉक्टर रोजिज को लगा कि, क्यों ना अपना बिसलेरी कॉन्सेप्ट वाला बिजनेस भारत में शुरू किया जाए. यह बिजनेस भारत में भी काफी सफल हो सकता हैं. और डॉक्टर रोजिज ने खुसरू संतुक के साथ 1965 में मुंबई के ठाणे में बिसलेरी का पहला वाटर प्लांट स्थापित किया.
बिसलेरी ने शुरुआत में मार्केट में दो प्रॉडक्टों को उतारा. पहला था बिसलेरी वाटर और दूसरा था बिसलेरी सोडा. बिसलेरी के ये दोनों प्रोडक्ट्स पहले बड़े होटल्स और रेस्टोरेंट में मिलते थे. बाद में धीरे धीरे मार्केट में उतर गई. शुरुआत में बिसलेरी, पानी से ज्यादा सोडे के लिए जाना जाने लगा. और तब उन्हें बिसलेरी वाटर बेचने में ज्यादा सफलता हासिल नहीं हो पाई. इस वजह से खुसरू संतुक अपने इन ब्रांड्स को आगे चलाना नहीं चाहते थे.
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Bisleri को पार्ले ने खरीदा
बिसलेरी वाटर को मिली असफलता के बाद खुसरू संतुक ने अपनी इस कंपनी को बेचने को तैयार हो गए. यह खबर पार्ले कंपनी के चौहान ब्रदर मिली. और रमेश चौहान ने 1969 में बिसलेरी (इंडिया) लिमिटेड के रूप में खरीदा. आपको बता दे कि, पार्ले ने बिसलेरी इंडिया लिमिटेड को 4 लाख रूपये में खरीदा था.
बिसलेरी को खरीदने के पीछे रमेश चौहान का मकसद था कि, इस ब्रांड को वे सोडा ब्रांड में तब्दील करेंगे. बता दे कि, तब बिसलेरी के देशभर में मात्र 5 स्टोर थे, 4 मुंबई में और एक कोलकाता में. रमेश चौहान ने बिसलेरी के बोतलबंद पानी वाले दो ब्रांड ‘बबली’ और ‘स्टिल’ के साथ साथ बिसलेरी सोडा भी लॉन्च किया. पारले समूह ने कई सालों तक सोडा और पानी दोनों बिसलेरी ब्रांड के नाम से बेचा. आपको बता दे कि, उस वक्त सॉफ्ट ड्रिंक कांच की बोतल में बिकते थे, जिन्हें पीने के बाद वापस करना होता था.
कुछ समय बाद पार्ले ने एक रिसर्च की. और पाया की भारत के सार्वजानिक स्थल, रेलवे स्टेशन और अन्य जगहों पर पानी की शुद्धता नहीं होने के कारण लोग प्लेन सोडा खरीद कर पीते हैं. तब पार्ले कंपनी को लगा कि, क्यों ना इन जगहों पर स्वच्छ पानी उपलब्ध किया जाए, जिससे लागों की पानी की समस्या भी खत्म होगी और बिसलेरी वाटर का बिजनेस आगे बढ़ सकता है. उस समय पार्ले ने डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या बढाई और उन जगहों पर बिसलेरी स्वच्छ जल की पूर्ति की. और समय के साथ ही ब्रांड का प्रमोशन और ब्रांड की पेकिंग में नए नए बदलाव के साथ मार्केट में बिसलेरी वाटर काफी मजबूत होता गया.
1985 के दौरान PET यानी प्लास्टिक मटेरियल ने इस उद्योग को आमूल बदल डाला. यह हलका, मजबूत और रीसाइकल किया जा सकने वाला ऐसा पैकेजिंग मटीरियल था, जिसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता था. इससे पैकेजिंग की समस्या हल हुई और दाम भी कम हुए. वहीँ अंत में पीईटी कंटेनरों में उन्नत किया गया.
2000 में मिली चुनौतियाँ
बिसलेरी की सफलता से प्रेरित होकर साल 2000 में बेली, एक्वाफीना और किनले जैसी कंपनियों ने भी शुद्ध पानी के दावे के साथ इस बाजार में कूदे और बिसलेरी के एकाधिकार में सेंध लगाई. दूसरे ब्रांडों से मिल रही टक्कर को देखते हुए बिसलेरी ने विभिन्न साइज के आकर्षक पैकेज बाजार में पेश किए. और अपने इस ब्रांड के विज्ञापन में भी बदलाव किया. इससे बिसलेरी और मजबूत बनती गई. 2003 में बिसलेरी ने यूरोप में भी अपने उद्यम की घोषणा की.
आज बिसलेरी
आज बिसलेरी की भारत में बोतलबंद पेयजल में 60% बाजार हिस्सेदारी है. आज 135 प्लांट्स के दम पर दो करोड़ लीटर से भी अधिक पानी रोज बेचने वाली बिसलेरी देश-दुनिया में छा गई है. आज बिसलेरी 5000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स ट्रकों और 3500 डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए साढ़े तीन लाख रिटेल ऑउटलेट्स तक पहुंच रहा है.
Bisleri का रेवेन्यू
वर्तमान में बिसलेरी का रेवेन्य 2000 करोड़ से भी अधिक हैं. और और कंपनी ने 2022 तक यह आकंड़ा 5000 तक लाने का निर्धारित किया हैं.
Bisleri के चेयरमैन
पिछले 50 साल से सॉफ्ट ड्रिंक और मिनरल वाटर उद्योग में सक्रिय 76 वर्षीय रमेश चौहान बिसलेरी इंटरनेशनल के आज भी चेयरमैन हैं, पर रोजमर्रा का कामकाज उन्होंने अपनी इकलौती संतान जयंती चौहान को सौंप दिया है.
रमेश चौहान के बारे में
रमेश चौहान जयंतीलाल चौहान के तीन बेटों में से एक हैं. अन्य दो मधुकर और प्रकाश चौहान. रमेश चौहान ने अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग व बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की हैं. पिता के इस कारोबार से जुड़ते ही रमेश चौहान ने निर्णय लिया कि उन्हें सॉफ्ट ड्रिंक में ज्यादा वेरायटी के साथ सोडा भी लॉन्च करना चाहिए.
तो दोस्तों, कैसा लगा Bisleri का ये सफल सफर. इस लेख को लेकर आपकी राय या सुझाव हमें जरुर कमेंट करे. धन्यवाद