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Inspiring story of ratan tata |
हिंदी की यह महसूर कहावत भारत के टॉप बिजनेसमैन और अपने कार्यकाल में टाटा कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले रतन टाटा पर बिल्कुल सटीक बैठती है. आज हम इस लेख के जरिए रतन टाटा के जीवन से जुड़ी एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जो हम सभी के लिए प्रेरणादायक हैं. हम इस कहानी के जरिए सिख सकते हैं कि, अगर कोई हमारा अपमान करता हैं तो, हमें क्या करना चाहिए.
ये कहानी हैं 1998 की, जब रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट रही TATA INDICA कार मार्केट में लांच की गई थी. यह TATA MOTERS की पहली पैसेंजर कार थी. और इसके लिए रतन टाटा ने जी-जान लगाकर मेहनत की थी. लेकिन कहते है ना बाजार में ग्राहकों का महत्वपूर्ण स्थान होता है, और वह जो चाहे वह खरीदता हैं. और रतन टाटा का यह ड्रीम प्रोजेक्ट बाजार के राजा का दिल जीतने में असफल रहा. यानी इस पैसेंजर कार को बाजार में उतना बेहतर रिस्पोंस नहीं मिला, जितना उन्होंने सोचा था. इस कारण कंपनी loss में जाने लगी. और कंपनी को रहे नुकसान को देखते हुए कंपनी से जुड़े लोगों ने रतन टाटा को इस प्रोजेक्ट को बेच देने की सलाह दी. अपनी मेहनत को साइड में रखते हुए रतन टाटा ने अपने सलाहकारों की बात मान ली. और उन्होंने अपनी कंपनी बेचने के लिए अमेरिका की कंपनी FORD से बात की.
इस डील को लेकर रतन टाटा और फोर्ड कंपनी के मालिक बिल फोर्ड की मीटिंग कोई घंटों तक चली. और इस दौरान बिल फोर्ड की ओर से रतन टाटा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं हुआ. बिल फोर्ड ने रतन टाटा को 2 शब्द सुनाते हुए कहा, "जिस व्यापार के बारे में आपको सही जानकारी नहीं है, उसमें इतना पैसा क्यों लगा दिया. ये कंपनी खरीदकर हम आप पर बड़ा एहसान कर रहे हैं."
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बिल फोर्ड के ये अपमानित करने वाले शब्द रतन टाटा के दिल और दिमाग पर छप गए. लेकिन रतन टाटा ने उस वक्त अपने आप को संभाला, क्रोधित होने के बजाय शांत मन से अपमान का घूंट पीकर इस डील को रद्द कर के चले आए.
कहते हैं ना, अगर कोई हमारा अपमान करे तो, उस वक्त उस व्यक्ति को परखना चाहिए. यानी हमारा अपमान करने वाला व्यक्ति मुर्ख है या बुद्धिमान. अगर हमें अपमानित करने वाला व्यक्ति मुर्ख है, और हम मूर्ख व्यक्ति से अपमान का बदला लेंगे तो वह हमें बार-बार अपमानित करेगा. हमारी समझदारी इसी में हैं कि, हम चुप रहे. वहीं किसी बुद्धिमान व्यक्ति से अपमान का सामना करना पड़े, तो भी चुप रहना चाहिए. हमें सोचना चाहिए कि, उसने कुछ सोच समझकर ही हमें अपमानित किया होगा. इसमें हमारा ही फायदा है.
रतन टाटा को बिल फोर्ड के वे शब्द लगातार बेचैन करते थे. उन शब्दों ने रतन टाटा कि रातों की नीद उड़ा दी थी. बाद में रतन टाटा ने निश्चय कर लिया कि, बस अब किसी भी हालत में इस कंपनी को नहीं बेचेंगे. फिर क्या लग गए कंपनी को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने के काम में.
उन्होंने कंपनी को हो रहे loss और इंडिका कार को लेकर एक रिसर्च टीम तैयार की. और बाजार का मन टटोला. पूरे रिसर्च के बाद रतन टाटा ने सही रणनीतियों के साथ काम को आगे बढ़ाया. कुछ समय बाद टाटा इंडिका ने भारतीय बाजार के साथ-साथ विदेशों में भी सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ.
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TATA INDICA के सफलता के साथ ही FORD कंपनी का पतन भी शुरू हो गया. साल 2008 आते आते फोर्ड कंपनी को इतना नुकसान हुआ कि, वह दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई. मौके को देखते हुए उन्होंने फोर्ड कंपनी की लक्जरी कार Jaguar और Land Rover बनाने वाली कंपनी JLR को खरीदने का प्रस्ताव रख दिया. और रतन टाटा का यह प्रस्ताव FORD को स्वीकारना भी पड़ा. इसके बाद FORD के अधिकारी मीटिंग के लिए भारत आए. इस मीटिंग के दौरान यह सौदा लगभग 2.3 अरब डॉलर में हुआ. तब रतन टाटा को लेकर FORD कंपनी के मालिक बिल फोर्ड के शब्द कुछ ऐसे थे,
बिल फोर्ड के शब्द थे, "आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं."
आपको बता दे कि, FORD कंपनी का JLR आज टाटा ग्रुप का हिस्सा है. और मार्केट में शानदार प्रॉफिट के साथ आगे बढ़ रहा है. तो दोस्तों, रतन टाटा की इस प्रेरणादायक कहानी में पॉइंट करने वाली बात यह है कि, वह चाहते तो वह उसी वक्त अपने अपमान का बदला ले सकते थे. लेकिन कहा न कि महान लोग अपनी सफलता से लोगों को जवाब दिया करते हैं.
तो दोस्तों, आशा करता हूँ आपको इस लेख के जरिए कुछ सिख मिली होगी. इस लेख को लेकर आपकी राय या सुझाव कमेंट में जरुर MENTION करे. कीमती समय देने के लिए धन्यवाद