माता-पिता के जुनून और सुपर-30 ने अति गरीब परिवार के प्रेमपाल को बनाया वैज्ञानिक, कुछ ऐसी है success story

    नमस्कार दोस्तों, जीवन में सफल होने के लिए संघर्षों का समाना करना बहुत ही जरुरी होता हैं. जो कोई संघर्ष कर के आगे बढ़ता हैं, उसे उसके लक्ष्य तक पहुँचने से कोई नहीं रोक पाता. चाहे वह अमीर हो या कितना भी गरीब.
    उद्बोधनकर्ता जॉन डी लेमे के मुताबिक, “संघर्ष की चाबी जीवन के सभी बंद दरवाज़े खोल देती है और आगे बढ़ने के नए रास्ते भी प्रशस्त करती है. इस दौरान व्यक्ति के अंदर का हौसला उसे हारने नहीं देता और संघर्ष की लगन सतत बनाए रखता है.”
    ये प्रेरणादायी कहानी हैं, अति गरीब परिवार से आनेवाले और सुपर-30 में पढाई कर के JEE/IIT में अच्छे रैंक के साथ पास होकर इसरो में वैज्ञानिक की नौकरी करने वाले प्रेमपाल की. जो बिहार के नालंदा जिले के ब्रह्मस्थान गाव से आते हैं. अमूमन देखा जाता है कि, हर परिवार अपने बच्चों को अच्छी पढाई कर के खुद के पैरों पर खड़े रहने की सलाह देते है. लेकिन प्रेमपाल के माता-पिता को छोड़ उनका पूरा परिवार ही उसे पढाई करने से मनाई कर रहा था. उसके परिवार वाले चाहते थे कि, वह खेती में काम कर के परिवार की आय बढ़ाने में सहयोग करे. लेकिन प्रेमपाल के माता-पिता चाहते थे कि, बेटा पढ़े. लेकिन वह उसे अच्छे स्कुल में नहीं भेज सकते थे. क्योंकि उनके पास उतनी आमदनी नहीं थी. और परिवार वालों ने भी मदद करने से इंकार कर दिया था.
     कुछ समय बाद परिवार में बंटवारे की नौबत आ पड़ी. और बंटवारे के बाद प्रेमपाल के पिताजी के हिस्से में बड़ी मुश्किल से एक बीगा जमीं ही आई. बच्चों को पढ़ाने का जूनून रखने वाले प्रेमपाल के पिताजी पर अब दूसरों के खेतों में जाकर मजदूरी करने की नौबत आ पड़ी. जिसके कारण कोई बार उन्हें खाली पेट ही सोना पड़ा था.
   इस बिकट परिस्तिथि में से उभरने के लिए प्रेमपाल के माता-पिता ने एक भैंस खरीदनें की सोची(शायद मन में विचार होगा कि, इससे खाली पेट तो नहीं सोयेंगे). लेकिन भैंस खरीदनें जितनी रक्कम उनके पास नहीं थी, इसीलिए उन्होंने उधार लेकर एक भैंस खरीद ली. इतनी कठिनाईयों का सामना करने के बावजूद प्रेमपाल के पिता उन्हें गाव की सरकारी स्कूल में भेजने लगे. लेकिन स्कूल की हालत ऐसी थी कि, स्कूल के शिक्षक कई दिनों तक स्कूल में नहीं ही आते थे. मन में पढाई की बहुत रूचि रखने वाले प्रेमपाल यह हालात देख कर निराश हो जाते थे. पर उनकी माँ उसे ढाढ़स देती थी.

बेटे के लिए माता-पिता ने बदला धर्म

     गाव में छठी कक्षा तक ही स्कूल था. और प्रेमपाल ने गाव के स्कूल में से छठी कक्षा की शिक्षा पूरी कर ली थी. अब आगे की पढाई के लिए उसे गाव से दूर जाना ही था. लेकिन उनके पिता उतने पैसों का इंतजाम नहीं कर पाए थे. इसी बीच किसी ने प्रेमपाल के पिता को मिशनरी स्कूल के बारे में बताया. और ये भी कहा कि, अगर आप इसाई धर्म अपना लेते है तो यह संभव हैं. कुछ दिनों बाद प्रेमपाल के पिता ने अपने बीवी-बच्चों के साथ धर्म परिवर्तन कर लिया. ऐसा करने से प्रेमपाल को मिशनरी स्कूल में दाखिला मिल तो गया, लेकिन यहाँ उनके पिता के सामने एक बढ़ा संकट खड़ा हो गया. धर्म परिवर्तन के कारण उनके परिवार वालों समेत पूरा गाव उनके खिलाफ हो गया.

संघर्ष के साथ 10 वीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी 

    इस घटना के बाद प्रेमपाल के दादाजी ने उनके पिता को बच्चों समेत घर से बाहर कर दिया. इसके बाद प्रेमपाल का परिवार खुले आसमान के नीचें रहने के लिए मजबूर हो गया. इसके बावजूद प्रेमपाल के पिता ने उन्हें पढाई के लिए मिशनरी स्कूल में भेज दिया, जो उनके गाव से 20 KM दूर था. समय के साथ ही उस स्कूल में प्रेमपाल ने 4 साल पूरे कर लिए. और अब वह 10 वीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहा था. स्कूल से छुट्टी मिली तो वह अपने गाव चला आया. और यहां उसके माता पिता गायों को जहां बांधते थे, वहां रहने पर मजबूर थे. यह जगह उनके दादाजी ने ही उन्हें रहने के लिए दी थी.ऐसी ही हालातों में प्रेमपाल ने परीक्षा की तैयारी कर के उन्होनें 10 वीं की बोर्ड परीक्षा दी. और अच्छे अंकों के साथ पास भी हुए.

सुपर-30 में एंट्री 

     अब आगे की पढाई करने के लिए उन्हें पटना जाना ही था. इसी बीच प्रेमपाल के पिताजी को सुपर-30 के बारे में पता चला. प्रेमपाल देर ना करते अगले ही दिन पटना चले गए. और गणितज्ञ आनंद कुमार से मिले. और आनंद कुमार का उद्देश्य भी यही था कि, गरीब बच्चों को अपने संस्थान में शामिल कर के उन्हें IIT के लिए तैयार करना. आनंद कुमार के मार्गदर्शन में अपनी लगन, प्रतिभा और कड़ी मेहनत के साथ प्रेमपाल ने परीक्षा दी. और उसमे वह अच्छे रैंक के साथ पास हुए. बता दे कि, आज प्रेमपाल भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो में बौतर वैज्ञानिक नौकरी कर रहे है.
     दोस्तों, प्रेमपाल के संघर्ष की यह कहानी आज प्रेरणा पुंज बनकर लाखों लोगों के जीवन में उर्जा भर रही है. वाकई प्रेमपाल और उनके माता-पिता वैसे तमाम लोगों के लिए मिसाल हैं, जो संघर्ष के बलबूते पर दुनिया में पहचान बनाना चाहते हैं.
    तो दोस्तों, आशा करता हूँ कि, यह सक्सेस स्टोरी आपके लिए जरुर प्रेरणा स्रोत साबित होगी. आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट के जरिए जरुर बताएं. और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से शेयर भी करे, क्यों ना उन्हें भी जीवन में संघर्ष कर के ही सही पर सफलता का रास्ता मिल सके. आपका कीमती समय हमारे साथ बिताने के लिए धन्यवाद
     

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